डॉ. होमी जहांगीर भाभा ने जैसे ही परमाणु बनाने की घोषणा की, वैसे ही उनकी मौत हो गयी

डॉ. होमी जहांगीर भाभा :भाभा को तो आप जानते ही होंगे उन्ही के देन से आज हमारा देश परमाणु देश बन पाया है लेकिन उनके मौत के रहस्यों को कोई नहीं जान सका है । आखिर क्या कारण था की जैसे ही उन्होंने परमाणु हथियार बनाने की घोषणा की वैसे ही उनकी मौत हो गयी , चलिए जानते है इसके पीछे किसका हाथ था ।
डॉ. होमी जहांगीर भाभा की मौत
कहा जाता है कि डॉ. होमी जहांगीर भाभा की मौत के पीछे अमेरिकी खुफिया एजेंसी की साजिश थी। उनके एटम बनाने की घोषणा के कुछ ही समय बाद उनकी मृत्यु हो गयी थी। यह स्पष्ट नहीं है कि प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की मृत्यु कैसे हुई। कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि वह एक विमान दुर्घटना में मारे गये थे, लेकिन दूसरों का कहना है कि यह अमेरिकी सीआईए की साजिश थी। अमेरिका शायद भारत को परमाणु शक्ति बनने से रोकना चाहता था। भाभा के साक्षात्कारों और इस क्षेत्र में किए गए कार्यों ने अमेरिकी सरकार को चौकन्ना कर दिया होगा।

डॉ. होमी जहांगीर भाभा
डॉ. होमी जहांगीर भाभा एक पारसी परिवार से थे और उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से की थी। वह एक प्रसिद्ध परमाणु भौतिक विज्ञानी बने और अपने काम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं। हालांकि जब वे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत आए तो वे यहीं रह गए और सीवी रमन लैब में काम करने लगे।

भाभा का सफर
भाभा के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के निदेशक बनने के बाद उन्होंने भारत को परमाणु शक्ति बनाने के लिए काम किया। 1948 में उन्होंने ऊर्जा आयोग की स्थापना की और फिर देश के परमाणु कार्यक्रमों की देखरेख की। 1963 में जब परमाणु संयंत्रों की स्थापना के संबंध में एक अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए तो भाभा ने यह सुनिश्चित करने के लिए काम किया कि भारत जल्द ही अमेरिका, सोवियत संघ और चीन के बराबर हो जाएगा।

कहा जाता है कि उनकी उड़ान फ्रांस की सीमा के पास एक पहाड़ से टकरा गई थी और माना जा रहा है कि विमान का मलबा बर्फ में दब गया है। ब्लैक बॉक्स नहीं मिला है और यह माना जाता है कि विमान में अल्टीमीटर दोषपूर्ण था। भारत ने फ्रांस की दलील को मान लिया है। हालांकि 1843 नाम की पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि जिस विमान का टुकड़ा वहां मिला था वह उससे पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और यह एयर इंडिया के विमान का नहीं था।

“कन्वर्सेशन विद द क्रो” पुस्तक क्या कहती है
बाद में कहा गया कि फ्लाइट पहाड़ी से नहीं बल्कि किसी और फ्लाइट से टकराई थी। “कन्वर्सेशन विद द क्रो” नामक पुस्तक में सीआईए एजेंट रॉबर्ट क्राउली और अमेरिकी पत्रकार के बीच की बातचीत प्रकाशित हुई थी जिसमें कहा गया था कि अमेरिका भारत के परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंतित है। उन्होंने होमी भाभा के बारे में भी कहा वह बहुत खतरनाक थे। वह विएना जाकर और मुसीबत खड़ी कर देता। बम उनके बोइंग 707 के कार्गो होल्ड में फटा। यहां दो विमानों के टकराने की थ्योरी भी काम करती है।
