अजब-गजब

अमिताभ बच्चन हमेशा से मेगा स्टार नहीं थे , कभी उनको मुंबई के मरीन ड्राइव की बेंच पर बितानी पड़ती थीं रात

अमिताभ बच्चन : अमिताभ हमेशा मेगास्टार नहीं थे। फिल्मों में सफलता मिलने के बाद भी उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा था। अमिताभ एक बार बुरी तरह कर्ज में डूब गए थे और उन्हें कई रातें मुंबई के मरीन ड्राइव की बेंच पर बितानी पड़ी थीं।

अमिताभ बच्चन

बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन के भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रशंसक हैं। उन्होंने फिल्मों मे ऐसे गजब की ऐक्टिंग की की सब उनके दीवाने हो गये और इस वजह से ही फिल्म इंडस्ट्री का ‘शहंशाह’ कहा जाता है। हाल ही में अमिताभ बच्चन ने अपने मुश्किल वक्त को याद किया और बताया कि उन्होंने कितने बुरे दिन देखे हैं । अमिताभ हमेशा मेगास्टार नहीं रहे सुरुवात मे फिल्मों में असफलता मिलने के बाद भी उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। शायद ही कुछ लोग जानते हों कि अमिताभ एक समय बुरी तरह कर्ज में डूबे हुए थे इतना ही नहीं उन्हें कई रातें मुंबई के मरीन ड्राइव की बेंच पर गुजारनी पड़ी थीं। उन्होंने हाल ही में अपने करियर के शुरुआती दिनों के संघर्ष की कुछ यादें साझा कीं जब उनकी कंपनी एबीसीएल भी भारी कर्ज में डूबी हुई थी।

Amitabh Bacchan

अमिताभ बच्चन के बुरे दिन 

अमिताभ बच्चन ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ (1969) से की थी लेकिन यह फिल्म फ्लॉप रही। इसके बाद उन्होंने ‘रेशमा और शेरा’ (1972) की जिसमें उनका रोल गूंगा था और यह फिल्म भी फ्लॉप रही। फिल्म ‘आनंद’ (1971) ने पहचान दिलाई लेकिन उसके बाद फ्लॉप फिल्मों की ऐसी लाइन लगी कि मुंबई के निर्माता-निर्देशक उन्हें फिल्म में लेने से कतराने लगे।

अमिताभ फिल्म उद्योग में कठिन समय से गुजर रहे थे और निराश हो रहे थे। वह कड़ी मेहनत कर रहे थे लेकिन कोई परिणाम नहीं मिल रहा था। निर्माता उनमें दिलचस्पी नहीं ले रहे थे क्योंकि वे लंबे और पतले थे। अमिताभ मुंबई छोड़ने पर विचार कर रहे थे और उन्होंने पूरा मन भी बना लिया था।

Amitabh Bacchan

उसी समय प्रकाश मेहरा को अपनी आने वाली फिल्म ‘जंजीर’ के लिए मुख्य भूमिका निभाने के लिए किसी भी ऐक्टर को ढूंढने में परेशानी हो रही थी। वह अपने कार्यालय में प्राण के साथ इस मामले पर चर्चा कर रहे थे तभी प्राण ने अमिताभ को भूमिका के लिए सुझाव दिया। प्रकाश मेहरा ने इनकार में सिर हिला दिया।

प्राण ने कहा कि अमिताभ के बारे में फैसला लेने से पहले उनकी कुछ फिल्में देख लेना बेहतर है। उन्होंने कहा कि भले ही अमिताभ की ज्यादातर फिल्में असफल रही हों लेकिन उनमें जरूर कुछ खास है। उसे बस सही फिल्म की जरूरत है। ‘जंजीर’ के संवाद सलीम-जावेद की हिट जोड़ी ने लिखे थे और फिल्म से जुड़े सभी लोगों ने शूटिंग के दौरान काफी मेहनत की थी।

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फिल्म बनकर तैयार हो चुकी थी लेकिन अभी भी कुछ समस्याएं थीं जिन्हें ठीक करने की जरूरत थी। जिन लोगों ने फिल्म का ट्रेलर देखा उन्होने अच्छी प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे फिल्म के स्टार अमिताभ बहुत घबरा गए क्योंकि उन्हें लगा कि कोई भी फिल्म नहीं देखना चाहेगा। फिर जैसे-तैसे किसी तरह ‘जंजीर’ रिलीज हो गई और जिसने भी इसे देखा उसे अमिताभ की परफॉर्मेंस इतनी पसंद आई की सब उनके दीवाने हो गए। उनकी डायलाग लोगों को इतना दमदार लगा की देखते ही देखते वे एक मेगा स्टार बन गए । 

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अमिताभ बच्चन इस एक फिल्म में दिखाई देने के बाद रातों-रात सुपरस्टार बन गए जहां उन्होंने जनता के गुस्से का इजहार किया। पहले दिन इसे देखने वाले लोग इतने चकित हुए कि अपनी सीट से हिल भी नहीं पाए। इसके बाद अमिताभ ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने सफल करियर के साथ आगे बढ़ते रहे।चार दशक बाद भी वह मजबूत होते जा रहे है।

आज भी चल राहा उनका दौर 

79 साल की उम्र में भी अमिताभ बच्चन आज भी उसी जोश और जुनून के साथ बॉलीवुड फिल्मों में नजर आ रहे हैं। उनके फैंस उनकी अपकमिंग फिल्म झुंड का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अमिताभ को बॉलीवुड के ‘शहंशाह’ के रूप में उनके लगभग 5 दशकों के काम के लिए पूरे फिल्म इंडस्ट्री में सम्मान दिया जाता है। 

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1960 मे 10000 के विज्ञापन को ठुकरा दिया 

अमिताभ बच्चन 1960 में मुंबई आए और उन्हें एक विज्ञापन के लिए 10,000 रुपये की पेशकश की गई। उन्होंने ऑफर लेने से मना कर दिया जबकि उस वक्त 10 हजार बहुत बड़ी रकम होती थी। जब अमिताभ को इस ऑफर के लिए अप्रोच किया गया तब वह रेडियो स्पॉट्स करके 50 रुपये महीना कमा रहे थे। अमिताभ को लगा कि अगर उन्होंने यह विज्ञापन किया तो उन्हें काफी कुछ खोना पड़ेगा इसलिए उन्होंने इसे ठुकरा दिया।

अगर ऐक्टर नहीं होते तो यह काम करते 

अमिताभ ने कहा कि उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है और उनके दोस्त केवल थोड़ी देर के लिए उनकी मदद कर सकते थे। उन्होंने कहा कि वह उनके घरों में रहकर उन पर खुद को थोपना नहीं चाहते थे। इसलिए उन्होंने कई रातें मरीन ड्राइव पर एक बेंच पर सोकर बिताईं। उन्होंने कहा कि यहीं पर उन्होंने पहली बार बड़े चूहे देखे। मैं केवल अपने ड्राइविंग लाइसेंस के साथ बंबई आया था और अगर मैं अभिनेता नहीं बनता तो मैं कैब चला रहा होता। लेकिन मेरा मकसद एक्टिंग करना था।

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